शरीर के भाव से अपनी बात कह सकते हैं: रवि कर्णवाल
-तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल में सात दिवसीय कार्यशाला का हुआ शुभारंभ
लोकतंत्र भास्कर
मेरठ। हम शरीर के अंगों के माध्यम से अपनी भावनाओं को प्रकट कर सकते हैं हम सामने वाले तक अपनी बात को पहुंचा सकते हैं यह एक नाट्यशास्त्र का एक रूप है यह चार प्रकार के होते हैं उनमें से एक कला है आंगिक कला यह बात तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल में फिल्म मेकिंग पर गुरुवार को शुरू हुई सात दिवसीय कार्यशाला में एक्सपर्ट रवि कर्णवाल ने कही।
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर स्थित तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल में आयोजित सात दिवसीय कार्यशाला में पहले दिन फिल्म एक्टर एवं डायरेक्टर रवि कर्णवाल शुभम शर्मा ने छात्रों को फिल्म मेकिंग से जुड़ी छोटी-छोटी बातों से रूबरू कराया पहले दिन बताया कि आंगिक कला के माध्यम से हम किस प्रकार से अपनी बातों को दूसरों तक पहुंचा सकते हैं इससे पूर्व गुरुवार को कार्यशाला का शुभारंभ हुआ तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल के निदेशक प्रोफेसर प्रशांत कुमार ने सभी अतिथियों का स्वागत किया तथा कहा कि फिल्म बनाने के लिए एकाग्रता बहुत जरूरी है। छोटी-छोटी बातों का फिल्म बनाते समय ध्यान रखा जाता है तब जाकर एक फिल्म तैयार होती है इसके पीछे केवल डायरेक्टर और हीरो ही नहीं बल्कि सैकड़ो लोगों की टीम काम करती है फिल्म सेंसर बोर्ड के सदस्य अमरीश पाठक ने कहा कि फिल्म निर्माण करना इतना आसान दिखता है उतना होता नहीं है। किसी भी फिल्म को बनाने के लिए एक अच्छी स्क्रिप्ट का होना तथा अच्छे हीरो अच्छे निर्देशक तथा उनकी टीम का एकजुट होकर काम करना होता है तब जाकर एक अच्छी फिल्म तैयार होती है।