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Friday, December 27, 2024
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जहर खाकर थाना दिवस में पहुंचने वाले दलित किसान की जमीन कब्जामुक्त

जमीन का कब्जा हटवाने को तीन वर्षों से अधिकारियों के चक्कर काट रहा था पीड़ित—-पिछले दिनों दो किसानों के आत्महत्या करने और जिम्मेदारों पर आरोप लगने पर हरकत में आया प्रशासन


बदायूं। अपनी जमीन कब्जामुक्त कराने के लिए एक किसान ने तीन वर्षों तक अधिकारियों के चक्कर लगाए। पुलिस से शिकायत करने के बाद भी कब्जा न हटने पर 8 अप्रैल को जहर खाकर थाना समाधान दिवस में भी गया। जहां खुद के जहर खाने की जानकारी देने पर पुलिस ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। अब गांव नगला शर्की और बिल्सी क्षेत्र के किसान की मौत के प्रशासनिक जिम्मेदारों पर आरोप लगने पर प्रशासन हरकत में आया है। सोमवार को दलित किसान को न्याय मिल गया। प्रशासन ने उसकी जमीन कब्जामुक्त कराई। तहसील के अधिकारी और पुलिस बल की मौजूदगी में जेसीबी से हटाया गया।
मामला थाना कुंवरगांव क्षेत्र के गांव नरऊ पसा का है। गांव निवासी दलित पप्पू पुत्र नौबत सिंह की जमीन गाटा संख्या 174 पर गांव निवासी मुन्ना उर्फ सुरेंद्र सिंह, सतेंद्र सिंह, राजपाल सिंह, विजेंद्र सिंह ने अपना कब्जा कर लिया था। कब्जा करने के बाद वाद दायर करके जमीन अपनी बताई थी। जिलाधिकारी ने 13 मार्च 2021 को उनकी आपत्ति निरस्त कर दी थी। इसके बाद भी उन लोगों ने दबंगई दिखाते हुए जमीन पर नींव भरवा दी और झोपड़ी डाल ली थी। पप्पू परेशान थे। उनकी तहरीर पर 18 मई को कब्जा करने वाले चारों लोगों के खिलाफ एससीएसटी एक्ट के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज हुई लेकिन कब्जा नहीं हटा। अधिकारियों के चक्कर लगाते थक गए थे। जिसके चलते उन्होंने विषाक्त पदार्थ खाकर जान देने की कोशिश की थी।
पिछले दिनों जमीन के चक्कर में नगला शर्की निवासी रूम सिंह और भगवान दास ने आत्महत्या कर ली थी। उनके परिजनों ने तहसील प्रशासन पर मौत का जिम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाया था। जिसके चलते प्रशासन हरकत में आया। सोमवार को तहसील सदर के नायब तहसीलदार श्रवण कुमार, प्रभारी काननूगो प्रभान सिंह, प्रभारी हल्का लेखपाल आकाश सक्सेना गांव नरऊ पसा पहुंचे। जेसीबी से नींव तोड़वाई। झोपड़ी भी हटवाई। जमीन पप्पू को दिला दी।

पुलिस पर भी लग चुके हैं आरोप

चार जनवरी को पीड़ित की जमीन पर गांव के ही राधेश्याम कब्जा करके निर्माण कर रहे थे। पप्पू ने डायल 112 को दी थी। जहां पुलिस दोनों पक्षों उठाकर थाने ले आई और दोनों पक्ष को हवालात में बंद कर दिया। आरोप है कि थाना पुलिस ने पीड़ित का 151 में चालान किया और कोर्ट में पेश करने के लिए सिपाही उसको थाने से सात किलोमीटर पैदल चलाकर घसीटते हुए ले गए। मामला सुर्खियों में आने के बाद अधिकारियों के पास पहुंचा। जिसकी जांच सीओ सिटी आलोक मिश्रा न की। इस मामले में सिपाही को क्लीनचिट भी दे दी गई और सिपाही कुछ समय बाद सेवानिवृत्त भी हो गया।

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