हिंदू बच्चे की खतना करने के मामले में जांच कमेटी ने अस्पताल का लाईसेंस किया निलंबित
दस्तावेजों की जांच बाकी है, दो दिन में जांच पूरी कर शासन को विस्तृत रिपोर्ट भेजी जाएगी: सीएमओ
बरेली। तोतलेपन का इलाज कराने पहुंचे बच्चे का खतना करने के मामले की शिकायत शासन तक पहुंच गई है। इसके बाद सीएमओ मामले की जांच कमेटी बनाई थी जिसपर कमेटी ने अस्पताल प्रबंधन को जिम्मेदार मानते हुए अस्पताल का लाइसेंस निलंबित कर दिया है। पीड़ित परिवार ने बयान में अस्पताल प्रबंधन पर सही जानकारी न देने की बात कही है। जांच कमेटी अभी अभिलेखों की जांच में लगी है। सीएमओ ने कहा है कि दो दिन में जांच पूरी कर शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी।
शासन तक पहुंची खतना प्रकरण की गूंज
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने एम खान अस्पताल में बच्चे की जीभ के ऑपरेशन की जगह खतना किये जाने संबंधी प्रकरण को गंभीरता से संज्ञान लेते हुए एसीएमओ के साथ स्वास्थ्य विभाग की एक टीम भेज कर संबंधित प्रकरण की जाँच कराने के आदेश दिए थे। डिप्टी सीएम ने सीएमओ को शिकायत सही पाये जाने पर अस्पताल प्रबंधन एवं दोषी चिकित्सक के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराने तथा उक्त अस्पताल का तत्काल प्रभाव से रजिस्ट्रेशन निरस्त करने तथा कार्यवाही की पूरी रिपोर्ट 24 घंटे के अंदर उपलब्ध कराये जाने के आदेश दिये थे।
ये था पूरा मामला
बरेली के स्टेडियम रोड स्थित एम खान अस्पताल में बच्चे के तोतलेपन के इलाज का आपरेशन कराने आए परिजनो ने बताया कि जीभ का ऑपरेशन करना था लेकिन डॉक्टर जावेद ने बच्चे का खतना कर दिया। ऑपरेशन बाद बच्चा वार्ड से बाहर लाया गया तो देखकर माता-पिता के होश उड़ गए। उन्होंने डॉक्टर और स्टाफ पर धर्म परिवर्तन साजिश का आरोप लगाकर हंगामा किया।
जानकारी मिलते ही हिंदू संगठनों के पदाधिकारी पहुँच गए। पुलिस ने बच्चे के पिता की तहरीर पर तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर जांच शुरू कर दी। संबंधित अस्पताल पर फोर्स लगा दी गई थी। शुक्रवार शाम सूचना मिलने पर सीओ थर्ड आशीष प्रताप सिंह और बारादरी थाना प्रभारी अभिषेक सिंह मौके पर पहुंचे। पीड़ित परिवार ने शुक्रवार देर रात अस्पताल प्रबंधन और डा. जावेद के खिलाफ तहरीर दी थी। स्थिति संवेदनशील होने से प्रशासन ने शनिवार सुबह से संबंधित अस्पताल पर फोर्स तैनात करा दी थी। गठित चार सदस्यीय कमेटी ने पहले अस्पताल प्रबंधन के बयान दर्ज किए थे। रविवार को टीम पीड़ित परिवार का बयान दर्ज करने पहुंची।
स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक परिजनों ने बयान में कहा है कि स्टाफ ने अंग्रेजी में लिखी फाइल पर हस्ताक्षर कराए थे। हस्ताक्षर के दौरान परिजनों ने कहा था कि उन्हें अंग्रेजी समझ में नहीं आती पर डॉक्टर ने कोई खास बात नहीं कहकर हस्ताक्षर करने को कहा। फिलहाल जांच कमेटी द्वारा अस्पताल कि लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है, दस्तावेजों की जांच के बाद मामले विस्तृत जांच शासन को भेजी जाएगी।
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