प्रयागराज। महाकुंभ 2025, पौष पूर्णिमा के पावन अवसर पर, प्रयागराज के ऐतिहासिक और पवित्र संगम में सुबह 9 बजे तक एक अनुमानित 60 लाख श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई, जो गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के मिलन स्थल पर स्थित है। यह संगम स्नान हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, जहाँ श्रद्धालु आध्यात्मिक शुद्धिकरण और पुण्य प्राप्ति के लिए स्नान करते हैं।
सुरक्षा और व्यवस्था: इस विशाल जनसमूह के प्रबंधन के लिए, प्रशासन ने अत्यधिक महत्व दिया। सुरक्षा के लिए, पुलिस और सुरक्षा बलों की विशाल टुकड़ियाँ तैनात की गईं, और सुरक्षा उपकरणों जैसे CCTV कैमरों, ड्रोन्स, और बैरिकेड्स का उपयोग किया गया। चिकित्सा सेवाएं भी व्यापक थीं, जिसमें अस्थायी चिकित्सा शिविर, एंबुलेंस और त्वरित चिकित्सा सहायता के लिए पर्याप्त डॉक्टर और नर्सें शामिल थीं।
स्वच्छता और सुविधाएं: स्वच्छता बनाए रखने के लिए, सफाई कर्मियों की संख्या बढ़ाई गई, और सार्वजनिक शौचालयों की संख्या में भी वृद्धि की गई। श्रद्धालुओं के लिए पानी की व्यवस्था, खाने-पीने की सुविधाएं, और आराम से स्नान करने के लिए घाटों की सफाई और तैयारी की गई।
आधिकारिक आंकड़े: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, सुबह 7:30 बजे तक लगभग 35 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान किया था, जो दिन की शुरुआत में जारी किए गए आंकड़ों से अधिक है। यह संख्या समय के साथ बढ़ती गई, और दिन के अंत तक यह आंकड़ा 60 लाख तक पहुँच गया।
धार्मिक महत्व: पौष पूर्णिमा का संगम स्नान हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति और पापों का नाश माना जाता है। इस दिन को धार्मिक महत्व के साथ-साथ सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी है, जब लोग अपने परिवारों और समुदायों के साथ इकट्ठा होते हैं।
समापन: पौष पूर्णिमा की इस विशाल सभा ने न केवल आस्था की अभिव्यक्ति की, बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे बड़ी संख्या में लोगों को सुरक्षित और सुव्यवस्थित तरीके से एक साथ लाया जा सकता है। यह आयोजन प्रयागराज के धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में इसके महत्व को फिर से स्थापित करता है।