अहले सुन्नत और हिंदू धर्म से जुड़े लोग भी करते हैं अजादारी: मौलाना हसन
अहले सुन्नत और हिंदू धर्म से जुड़े लोग भी करते हैं अजादारी: मौलाना हसन
लोकतंत्र भास्कर
मेरठ। मुहर्रम का चांद नज़र आते ही दुनिया भर में पैगंबर हज़रत मौहम्मद (स.अ.) के नाती हज़रत इमाम हुसैन (अ.स.) का सोग शुरू हो गया. इमाम बरगाहों में अलम सज गए। हर तरफ मजलिसों और मातम का सिलसिला जारी हो गया। पूरी दुनिया में इमाम हुसैन (अ.स.) का मातम अपनी पारंपरिक शान से बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जा रहा है।
विश्व प्रसिद्ध आलिम-ए-दीन मौलाना सैयद वक़ार अहमद रिज़वी गोपालपुरी ने (जिनके अशरे का शीर्षक विलायत और दीन की हिफाज़त” है) छोटी कर्बला में मजलिस को संबोधित करते हुए कहा “इमाम हुसैन की अज़ादारी खुदा की सुन्नत भी है, रसूल (स.अ.) की सुन्नत भी है तथा कुरान की सुन्नत भी है। मजलिस में फैसल अली ने सोज़ ख्वानी की। भारी संख्या में काले कपड़े पहने हुए मातमदारों ने हिस्सा लिया और कर्बला के शहीदों की याद में आंसू बहाए। मशहूर ख़तीब आली मौलाना मेहदी हसन वाइज़ जलालपुरी (जिनके अशरे का शीर्षक “विलायत-ए-खुदा और अहलेबैत और हमारी जिम्मेदारियां” है) शहर के सबसे बड़े वक्फ मनसबिया स्थित अज़ाखाना शाह-ए-कर्बला में मजलिस को संबोधित करते हुए कहा ”अगर हमने खुदा, रसूल (अ.स.) और अहलेबैयत (अ.स.) को मौला माना है तो सिर्फ ज़बान से मौला कहना काफी नहीं है, हमें अपने अमल से भी साबित करना होगा। मजलिस में भारी संख्या में लोगों नें हिस्सा लिया और सैय्यद अल-शोहादा इमाम हुसैन (अ.स.) की याद में आंसू बहाए। मौलाना मेहदी हसन वाइज़ ने मुहर्रम की पहली तारीख की शाम को “अज़ादारी” के शीर्षक से भी मजलिस को भी संबोधित किया, जिसमें उन्होंने अज़ादारी के महत्व को समझाया और कहा, “हमें अजादारी की ज़रूरत है, अज़ादारी को हमारी ज़रूरत नहीं है, अज़ादारी का संबंध मज़हब से नहीं है, अज़ादारी का संबंध आत्मसम्मान, संस्कृति और मानवता से है, हर इंसान हुसैन (अ.स.) का शोक मनाने वाला है, यही कारण है कि भारत में शिया आबादी सात, आठ करोड़ से अधिक नहीं है, लेकिन लगभग एक अरब 40 करोड़ की आबादी में अस्सी करोड़ इमाम हुसैन (अ.स.) के लिए मातम मनाने वाले लोग हैं, क्योंकि शियाओं के अलावा, अहले सुन्नत और हिंदू धर्म से जुड़े लोग भी भारत में नियमित रूप से अज़ादारी करते हैं।”
इसके अलावा शहर के विभिन्न इमामबारगाहों, इमामबारगाह शाइख अली, इमामबारगाह अली बख्श, इमामबारगाह छत्ता अली रज़ा, इमामबारगाह इनायत अली, इमामबारगाह करीम बख्श, इमामबारगाह मुजफ्फर अली मुज्जन, अज़ाखाना डॉ. इकबाल हुसैन, इमामबारगाह जाहिदियां आदि में मजलिसें शुरू हो गई हैं। इसी तरह शहर के विभिन्न इमामबाड़ों में महिलाओं की मजलिसों का सिलसिला भी जारी है ।
स्पष्ट रहे कि कल चांद रात में इमामबारगाह छोटी कर्बला में दानिश आबिदी ने सोज़ ख्वानी की और उस्ताद अनवर ज़हीर अनवर मेरठी ने ज़ाकरी के फर्ज़ अदा किए। मीडिया प्रभारी डॉ. इफ्फत ज़किया ने बताया कि मजलिसों का यह सिलसिला 9 मुहर्रम तक जारी रहेगा और 10 मुहर्रम को सभी अज़ाखानों में अलविदाई मजलिसें होंगी।
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