टीम को बाल श्रम व भिक्षावृत्ति में संलिप्त 14 बच्चों को रेस्क्यू करने में मिली कामयाबी
सिरसा।(सतीश बंसल) डिस्ट्रिक टास्क फोर्स कमेटी द्वारा ऑपरेशन स्माइल के तहत जिला में बड़ी सफलता हासिल की है। टीम को बाल श्रम व भिक्षावृत्ति में संलिप्त 14 बच्चों को रेस्क्यू करने में कामयाबी मिली है। इनमें उत्तर प्रदेश के जिला बलिया का बच्चा भी शामिल है, जिसे रेस्क्यू कर अभिभावकों को सौंपा गया।
उपायुक्त पार्थ गुप्ता ने बताया कि डिस्ट्रिक टास्क फोर्स द्वारा बाल श्रम व भिक्षावृत्ति जैसी गतिविधियों में संलिप्त बच्चों को रेस्क्यू किया जाता है। गत माह के दौरान उत्तर प्रदेश के जिला बलिया का जो एक 14 साल का बच्चा रेस्क्यू किया गया, वह अपने माता-पिता से दूर सिरसा में आ गया था। जांच के दौरान उस बच्चे का आधार कार्ड मिला, जिसमें उसकी पता संबंधी डिटेल प्राप्त हुई। इसके बाद बलिया जिले की जिला बाल संरक्षण समिति से संपर्क किया गया और बच्चे के आधार कार्ड के अनुसार सोशल इन्वेस्टिगेशन कमेटी (सीडब्ल्यूसी) जांच करवाई गई, जिसमें बच्चे के पता व अभिभावकों संबंधी तथ्य सही पाए गए। इसके उपरांत एसजेपीयू सिरसा की टीम के साथ बच्चे को उसके गृह जिला बलिया भेजा गया और उसे अभिभावकों को सौंपा गया।
उन्होंने बताया कि जिला टास्क फोर्स की कार्यवाही की निरंतर समीक्षा की जाती है। उन्होंने अभिभावकों से आह्वान किया कि वे बच्चों से भिक्षावृति या बाल श्रम न करवाएं, उन्हें शिक्षा व खेल जैसी गतिविधियों से जोड़े। बाल कल्याण समिति की अध्यक्षा अनिता वर्मा ने बताया कि बाल कल्याण समिति द्वारा बहुत से बच्चे व बच्चियों को उनके घर पहुंचाया जा चुका है। कई बार बच्चे विभिन्न क्रिटिकल परिस्थितियों में अपने घर से निकल जाते या भिक्षावृत्ति और बाल श्रम जैसी गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं, ऐसे बच्चों को समिति की टीम द्वारा रेस्क्यू किया जाता है और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। इसके उपरांत बच्चों की काउंसलिंग भी की जाती है। इसके अलावा बच्चों के अभिभावकों व काम करवाने वाले दुकानदारों को बुलाया गया। समिति का प्रयास होता है कि इन बच्चों को शिक्षा के साथ जोड़ा जाए और यदि उनके दस्तावेज कम हैं तो उन्हें भी पूरा करवाया जाए। उन्होंने कहा कि भीख मांगना व भीख देना दोनों ही अपराध है, इसकी बजाय नागरिक ऐसे बच्चों को शिक्षा के साथ जोड़ें। इसके अलावा भिक्षावृत्ति से अपराध जैसे बच्चों का अपहरण आदि घटनाओं को भी बढ़ावा मिलता है। उन्होंने आमजन से अपील की कि यदि कोई व्यक्ति बच्चों को भीख मांगते हुए देखता है तो तुरंत इसकी शिकायत चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098, डायल 112 अथवा नजदीकी पुलिस स्टेशन में दे।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी डा. गुरप्रीत कौर ने बताया कि भिक्षावृत्ति एक दंडनीय अपराध है, इसलिए अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजें तथा उनका शिक्षा में सहयोग करें। यदि अभिभावक बच्चों से भिक्षावृत्ति करवाते हैं तो इसमें पांच साल की सजा व एक लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है। यदि कोई व्यक्ति बच्चों के अंग काटकर उनसे भीख मंगवाता है तो इसमें 10 साल की कड़ी सजा तथा 5 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि भीख देना भी अपराध है, इससे भीख मांगने वाले को बढ़ावा मिलता है।