बरेली। जनपद में रामगंगा के किनारे स्थित कुष्ठ आश्रम में मकर संक्रांति का पर्व इस बार विशेष रूप से यादगार बन गया। वरिष्ठ समाजसेवी संजीव गुप्ता ने आश्रम के जरूरतमंदों के बीच राशन और कंबल का वितरण किया। उनकी यह पहल हर साल मकर संक्रांति के मौके पर की जाती है, जो समाजसेवा की अनोखी मिसाल पेश करती है।
इस पुनीत कार्य में संजीव गुप्ता के साथ उनके पुत्र विष्णु गुप्ता, जो दसवीं कक्षा में पढ़ रहे हैं, ने भी हिस्सा लिया। विष्णु ने जरूरतमंदों की सेवा में बढ़-चढ़कर सहयोग किया और अपने पिता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस नेक कार्य में योगदान दिया। संजीव गुप्ता ने कहा, “मकर संक्रांति मेरे लिए केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि जरूरतमंदों के साथ खुशियां बांटने का अवसर है। हर साल मैं इस दिन कुष्ठ आश्रम में आकर राशन और कंबल वितरित करता हूं। जब मैं इन लोगों के चेहरे पर मुस्कान देखता हूं, तो मुझे एक अलग तरह की खुशी और संतोष का अनुभव होता है।”
उन्होंने आगे कहा, “मेरे पिता हमेशा सिखाते थे कि सच्चा सुख दूसरों की मदद करने और उनके चेहरे पर खुशी देखने में है। उन्हीं की प्रेरणा से मैं यह कार्य कर रहा हूं। मेरा बेटा विष्णु भी इस कार्य में मेरी मदद करता है, जिसे देखकर मुझे बहुत गर्व होता है।” कुष्ठ आश्रम के लोगों ने संजीव गुप्ता और उनके बेटे का धन्यवाद दिया। राशन और कंबल पाकर आश्रम के लोग बेहद खुश नजर आए। आश्रम के एक बुजुर्ग ने कहा, “संजीव जी हर साल यहां आते हैं और हमारी मदद करते हैं। उनकी वजह से हमें यह महसूस होता है कि हम भी समाज का हिस्सा हैं।”
संजीव गुप्ता के पुत्र विष्णु ने कहा, “मेरे पिता मेरे आदर्श हैं। उनकी तरह मुझे भी समाजसेवा में रुचि है। जरूरतमंदों की मदद करना न केवल हमारा कर्तव्य है, बल्कि इससे आत्मिक संतोष भी मिलता है।” संजीव गुप्ता का यह प्रयास समाज में दया, करुणा और मानवता के महत्व को बढ़ावा देता है। उनका यह कार्य अन्य लोगों को भी प्रेरित करता है कि वे अपने सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदों की मदद करें। बरेली में संजीव गुप्ता और उनके पुत्र विष्णु गुप्ता का यह कार्य न केवल समाजसेवा की मिसाल है, बल्कि यह युवा पीढ़ी को भी प्रेरित करता है कि वे समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं।
“मकर संक्रांति का यह पावन पर्व मेरे लिए सिर्फ एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह दिन जरूरतमंदों के साथ खुशियां बांटने का अवसर है। मैं हर साल इस दिन रामगंगा स्थित कुष्ठ आश्रम में आकर राशन और कंबल का वितरण करता हूं। यह काम मुझे आत्मिक संतोष और खुशी प्रदान करता है। मेरे पिता हमेशा कहा करते थे कि सच्चा सुख किसी गरीब के चेहरे पर मुस्कान लाने में है। उन्हीं की इस सीख ने मुझे समाजसेवा के प्रति समर्पित किया है। मैं आज जो कुछ भी कर रहा हूं, वह मेरे माता-पिता के संस्कारों का ही परिणाम है।
मेरे लिए गर्व की बात है कि मेरा बेटा विष्णु भी इस काम में मेरा साथ देता है। वह न केवल इस कार्य में रुचि रखता है, बल्कि आगे चलकर समाज के लिए कुछ करने की इच्छा भी रखता है। उसे दूसरों की मदद करते हुए देखकर मुझे बहुत खुशी होती है।
मैं मानता हूं कि अगर समाज का हर सक्षम व्यक्ति थोड़ा-सा समय निकालकर जरूरतमंदों की मदद करे, तो हम सभी मिलकर एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं। यह केवल दान नहीं, बल्कि हमारी मानवीय जिम्मेदारी है। मैं इस कार्य को जीवनभर जारी रखना चाहता हूं और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करने का प्रयास करता रहूंगा।”
संजीव गुप्ता (वरिष्ठ समाजसेवी बरेली)