-ज्योति जैन की दो नवप्रकाशित पुस्तकों का लोकार्पण और पुस्तक चर्चा
सपना साहू
भोपाल। ज्योति जैन के रेखाचित्र त्रिआयामी हैं, मन पर अंकित हो जाते हैं, आंखों को नम कर जाते हैं. उनका उपन्यास ‘श्वेत योद्धा’ सकारात्मकता के साथ चिकित्सासेवियों की मनोव्यथा को उकेरने में सक्षम है…उक्त बात साहित्यकार ज्योति जैन की पुस्तकों के विमोचन के अवसर पर शामिल अतिथि, चर्चाकार, साहित्यकार पंकज सुबीर और कथाकार गीताश्री ने कही.
ज्योति जैन की दो पुस्तकों का विमोचन रविवार को जाल सभागार में हुआ. इस अवसर पर शहर के कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे. आरंभ में स्वागत उद्बोधन वामा साहित्य मंच की अध्यक्ष इंदु पाराशर ने दिया. ज्योति जैन ने अपनी सृजन प्रक्रिया पर कहा कि जब मैंने रेखाचित्र पर सोचा तो कई किरदार मेरी नज़रों के सामने आ गए. कुछ किरदार तो यूं कौंध गए जैसे वह मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा हों. वहीं मैंने अपने उपन्यास ‘श्वेत योद्धा’ की बच्ची को ग्रामीण परिवेश से लिया और नर्स नायिका इसलिए चुनी कि अपनी मां को इसी रूप में बहुत समर्पित भाव से सेवाएं देते देखा. कोरोना काल में चिकित्सासेवियों के कष्ट को भी महसूस किया और पाया की नैराश्य में हम कलम थामते हैं तो शब्द हमें संबल देते हैं।
साहित्यकार पंकज सुबीर ने कहा कि इंदौर के आयोजनों की खासियत यह है कि यहां वरिष्ठ जन भी आपके श्रोता होते हैं. पुस्तकों पर उन्होंने कहा कि उपन्यास श्वेत योद्धा में सबकुछ श्वेत है, वहां श्याम की कोई जगह नहीं है. विभिन्न पात्रों से गुजरते हुए वे लिमडी के माध्यम से अंचल को भी ज़िंदा रखे हुए है. एक साहित्यकार के तौर पर लेखिका मालवा की सुगंध को जीवित रखती हैं. उपन्यास सभी तत्वों पर खरा उतरता है. इसकी कथा चिकित्सकीय पेशे को सकारात्मक ढंग से उभारती है. बढ़ती बुराई में अच्छाई ढूंढने की कोशिश है यह उपन्यास. सकारात्मकता की आवश्यकता अगली पीढ़ी के लिए भी है, ताकि यह दुनिया रहने लायक बची रहे.
जानी मानी कथाकार पत्रकार गीताश्री ने इस अवसर पर कहा कि रेखाचित्र मास की विधा है, आम इंसान की विधा है, हाशिए पर बैठे लोगों पर लिखी जाने वाली विधा है, रेखाचित्र का दायरा बहुत विस्तृत है, क्योंकि आम मनुष्य के जीवन के विविध आयाम हैं. रेखाचित्र कुछ चेहरे कुछ यादें, में मनुष्यता को जीत लेने की रचनाएं हैं. विभिन्न इंद्रधनुषी चरित्र इस रेखाचित्र संग्रह को समृद्ध करते हैं. हिन्दी साहित्य में रेखाचित्र दुर्लभ हो चले हैं. लुप्त होती विधा को जीवन देने का काम यह पुस्तक करती है.अंग्रेजी में केरेक्टर स्केच लिखने की परंपरा बहुत प्रचलित है.हिन्दी में इस विधा से अपने पुरखों को याद किया जाए और विधा में नए आयाम जोड़े जाएं.
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत अमर वीर चढ्ढा, सीमा जैन, गजेंद्र जैन, पुरुषार्थ बड़जात्या, सुभाष कुसुमाकर और शरद जैन ने किया। डॉ. किसलय पंचोली, यूएस तिवारी, मोनिका जैन, रजनी जैन, रुचि और चेतन कुसुमाकर ने अतिथियों और मंचासीन सभी को स्मृति चिन्ह प्रदान किए. संचालन स्मृति आदित्य, सरस्वती वंदना प्रीति दुबे और आभार स्वर्णिम माहेश्वरी ने माना.