एक पेड़ से कुल 5 करोड़ रुपए के फायदे, हर साल 30 लाख रुपए की देता है ऑक्सीजन…
क्विज प्रतियोगिता और रैली के माध्यम से मीनाक्षी गंगवार ने किया जागरूक – ग्रीन एंड क्लीन उन्नाव
उन्नाव, जनपद में रफ्तार पकड़ती मुहिम का असर आज राजकीय बालिका इंटर कॉलेज के साथ ही विकासखंडों में बीईओ और शिक्षकों के प्रयासों को देखते जान पड़ा। सोहरामऊ जीजीआईसी की प्रधानाचार्या मीनाक्षी गंगवार ने विद्यालय में बच्चों के मध्य पर्यावरण संरक्षण क्विज प्रतियोगिता का आयोजन करवाया। छात्राओं ने रैली और स्लोगन लिखे पोस्टरों से सभी को वृक्षारोपण का संदेश दिया। शिक्षको में आलोक कुमार और अंजलि यादव ने रैली का प्रतिनिधित्व किया। बच्चों में अन्नू ,ऋचा,वैशाली, साक्षी, सौम्या,आरती, यश, सुमित, मोहित और श्यामू ने पौधे लगाकर उनके संरक्षण का वचन लिया। मीनाक्षी गंगवार ने बताया की वृक्ष हवा फिल्टर कर फेफड़ों को बचाने के साथ ही हर साल 100 किलोग्राम ऑक्सीजन प्रदान करता है, उन्होंने कोविड के दौर की दुखद स्मृतियों से सबक लेने को कहा। बीआरसी औरास में बीईओ संजय शुक्ल ने इम्तियाज हुसैन के साथ पौधे रोपित किए। ग्रीन एंड क्लीन उन्नाव लिखे पोस्टर के साथ शुक्ल ने सभी को संदेश दिया की पानी स्टोर करने और शहरों की बाढ़ रोकने में वृक्ष सहायक हैं उन्होंने कहा की घरों के पास पेड़ लगाने से एसी की जरूरत 30 प्रतिशत तक कम हो जाती है जिससे पर्यावरण और ओजोन परत पर चोट भी कम होगी। सिकंदरपुर सरोसी बीआरसी में बीईओ जगदीश श्रीवास्तव के साथ शिक्षक प्रदीप पाल एवम अर्चना, शिक्षामित्र बलबीर और वीरेंद्र सहित प्रशिक्षु हरिनाम एवं अंश उपाध्याय ने पौधे रोपित किए। ग्रीन एंड क्लीन मुहिम के मुख्य संयोजक अनूप मिश्र अपूर्व ने कहा कि वृक्षारोपण को सच्ची धार्मिक भावना और राष्ट्रीय महत्व का कार्य समझकर, विद्यालय वाटिकाओं और भूमि पर बड़ी मात्रा में वृक्ष रोपित किये जाने में शिक्षक और बच्चे अपना अधिकतम योगदान दे रहे हैं। सह संयोजक प्रदीप वर्मा ने मंशा व्यक्त की, कि पाठ्यक्रम के अंतर्गत प्रकृति निरीक्षण अनिवार्य विषय बनाया जाये। उन्होंने बताया कि छात्रों को वृक्ष डायरी बनवाए जाने और उनको दो वृक्ष के संरक्षण का कार्य सौपें जाने पर योजना बनाने के प्रयास चल रहे हैं। वनों का विनाश रोकने के लिए उत्तराखंड के चिपको आंदोलन जैसे प्रयासों की जानकारी और धन के लोभी ठेकेदारों से वनों की रक्षा करने के संदेश, ग्रीन एंड क्लीन उन्नाव के माध्यम से जन जन तक पहुंचाया जा रहा है। मुहिम के आंदोलन का स्वरूप लेने में सबसे बड़ी भूमिका शिक्षकों और बच्चों के प्रयासों को बतलाया।