मुरादाबाद। आर.एस.डी. कॉलेज में माल्यार्थ फाउंडेशन की मुरादाबाद इकाई और कला-भारती के संयुक्त प्रयासों से ‘माल्यार्थ युवा-समग्र’ नामक एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवा-शक्ति के जागरण को बढ़ावा देना, नए समाज का निर्माण करना और नए भारत के निर्माण के लिए युवाओं को संकल्पित करना था।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण ‘भारत के विकास में युवाओं की भूमिका’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी थी, जिसमें कला, साहित्य, शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण, स्वास्थ्य, कौशल विकास, और अध्यात्म जैसे विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े विशेषज्ञों और युवाओं ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि:
आचार्य देवेन्द्र देव – अंतर्राष्ट्रीय कवि और साहित्यकार, माल्यार्थ फाउंडेशन के मुख्य संरक्षक, कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में उपस्थित।
डॉ. जयपाल सिंह व्यस्त – विधान परिषद की माननीय सदस्य, मुख्य अतिथि।
बाबा संजीव आकांक्षी – प्रख्यात कलाविद और आध्यात्मिक चिंतक, मुख्य वक्ता।
डॉ. विनोद कुमार – आर.एस.डी. कॉलेज के चेयरमैन, विशिष्ट अतिथि।
हिमांशु श्रोत्रिय ‘निष्पक्ष’ – वरिष्ठ साहित्यकार, विशिष्ट अतिथि।
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक रूप से दीप प्रज्वलन और ध्येय गीत के साथ हुई, जिसके बाद संस्था के पदाधिकारियों ने मंचासीन अतिथियों का सम्मान किया। स्वागत उद्बोधन माल्यार्थ फाउंडेशन के संस्थापक राष्ट्रीय अध्यक्ष उदितेन्दु वर्मा ‘निश्चल’ ने दिया, और संस्था के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।
प्रतियोगिताएं और सम्मान:
भाषण प्रतियोगिता: लगभग 10 बच्चों ने भाग लिया, जिसमें हर्षिता चौहान प्रथम, दीपांशी द्वितीय, और रिद्धि तृतीय स्थान प्राप्त किया।
सेवा-साधना सम्मान: विभिन्न क्षेत्रों की विभूतियों जैसे मनोवैज्ञानिक मीनू नमेहरोत्रा, अंशिका विश्नोई, वंशिका विश्नोई, विशाखा अग्रवाल, कशिश चौहान, सपना सामी, नेपाल सिंह और प्रिंसी यादव को सम्मानित किया गया।
कवि और समाजसेवी ऋषि कुमार शर्मा च्यवन को विशेष सम्मान दिया गया, जिसमें उन्हें पटका ओढ़ाकर और स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया।
संगोष्ठी के मुख्य बिंदु:
हिमांशु श्रोत्रिय ने युवाओं की कार्यशैली और दिशा पर चर्चा की।
डॉ. विनोद कुमार ने युवाओं की विशेष भूमिका पर अपने विचार रखे।
बाबा संजीव आकांक्षी ने युवाओं को प्रेरणा देने वाले विचार साझा किए।
डॉ. जयपाल सिंह व्यस्त ने युवाओं के प्रति अपने प्रेरणादायक वक्तव्य से कार्यक्रम को समृद्ध किया।
आचार्य देवेन्द्र देव ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि युवाओं की जीवन्त पहचान उनकी सक्रियता से होती है, न कि आयु से।
कार्यक्रम का समापन वंदेमातरम के साथ हुआ, जिसमें सैकड़ों गणमान्य साधक उपस्थित थे। इस आयोजन ने युवाओं में एक नई ऊर्जा और देश के प्रति समर्पण की भावना को प्रेरित किया।