डेरा सच्चा सौदा में सत्संग भंडारे में उमड़ा जनसैलाब
सिरसा।(सतीश बंसल) सर्वधर्म संगम व मानवता भलाई का विश्व विख्यात केन्द्र डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत ने रविवार को सत्संग भंडारा हर्षोल्लास और मानवता भलाई कार्यों के साथ मनाया। इस पावन अवसर पर आयोजित विशाल रूहानी नामचर्चा में देश के अलग-अलग राज्यों से भारी तादाद में साध-संगत ने शिरकत की। पावन भंडारे में साध-संगत के उत्साह का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आश्रम की ओर आने वाले मार्गों पर दूर-दूर तक साध-संगत का सैलाब नजर आ रहा था और मार्गों पर कई-कई किलोमीटर तक वाहनों की कतारें नजर आई। साध-संगत के जोश, जज्बे और श्रद्धाभाव के सामने प्रबंधन द्वारा बनाए गए चार विशाल पंडाल भी छोटे पड़ गए। नामचर्चा की शुरूआत से पहले ही सभी पंडाल खचाखच भर गए और नामचर्चा की समाप्ति तक ये सिलसिला जारी रहा। इस अवसर पर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने साध-संगत के नाम अपना 16वां रूहानी पत्र भेजा, जिसे साध-संगत को पढ़कर सुनाया गया। पूज्य गुरु जी ने पत्र में साध-संगत को सत्संग भंडारे की बधाई देते हुए लिखा कि आप सब सुमिरन, अखण्ड सुमिरन तथा नामचर्चा व ह्यनाम चर्चा सत्संगह्ण में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया करो। परहित परमार्थ व बढ़-चढ़ कर सेवा किया करो। मालिक जल्द से जल्द आपकी जायज मांग जरूर से जरूर पूरी करेंगे। सत्संग की नामचर्चा के दौरान फूड बैंक मुहिम के तहत 75 अति जरूरतमंदों को राशन किटें और क्लॉथ बैंक मुहिम के तहत 75 बच्चों को वस्त्र वितरित किए गए। इसके अलावा पक्षी उद्धार मुहिम के तहत 175 सकोरे दिए गए। सत्संग भंडारे के दौरान साध-संगत ने बड़ी-बड़ी स्क्रीनों के माध्यम से पूज्य गुरु जी के अनमोल वचनों का लाभ उठाया। साध-संगत ने एकाग्रचित होकर पूज्य गुरु जी के वचनों को श्रवण किया। इस अवसर पर पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि मनुष्य बनकर तो आ गया, लेकिन समय कलियुग का चल रहा है और इन्सान कर्म भी उसके अनुसार करता जा रहा है। इन्सान भूल गया है कि उसका जन्म लेने का उद्देश्य क्या है? वो भूल गया है कि इस शरीर में भी प्रभु परमात्मा को याद करके बेइंतहा खुशियां हासिल कर सकता है। इन्सान क्षणिक आनंद के लिए मस्त हुआ बैठा है जिससे वह उस परमानंद से बहुत दूर हो गया है। परमानंद, उस ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब की इबादत से मिलता है। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि आमतौर पर दुनिया में इन्सान का अलग-अलग स्वाद होता है। किसी को नमकीन बढ़िया लगता है, किसी को मीठा बढ़िया लगता है, कई कड़वे में मरे पड़े हैं। सो अलग-अलग स्वाद, किसी को इन्द्रियों का भोग विलास, उनके लिए कोई रिश्ते ही नहीं रहते, उनकी निगाहें बुरा ही ताकती रहती हैं। सो अलग-अलग स्वादों में दुनिया पड़ी हुई है।
पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि जो ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरू, गॉड, खुदा, रब्ब की धुर की बाणी, अनहद नाद, बांग-ए- इलाही, मैथड ऑफ मेडिटेशन से प्राप्त की हुई गॉड्स वाइस एंड लाइट, वो जो आवाज है, वो जो रोशनी है, वो जो परमानंद जिसे हम कह रहे हैं, दुनिया में किसी को चाहे कोई भी स्वाद क्यों ना पसंद हो, अगर आप उससे (परमानंद) जुड़ते हैं, जो आपको स्वाद पसंद है, उस परमानंद में इससे अरबों-खरबों गुणा आपको स्वाद आएगा और हर किसी को आएगा और वो स्वाद परमानेंटली है। ये आप वाला टैम्परेरी है। पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि आप दुनिया में कोई भी काम-धंधा करते हैं, बिजनेस-व्यापार करते हैं, किस लिए करते हैं? अपने शरीर के लिए, बाल बच्चों के लिए, और किसी चीज के लिए तो नहीं करते आप। हाँ, सत्संगी जो हैं, वो परहित परमार्थ करते हैं, ये तो बेमिसाल है, ये तो बात ही अलग है। लेकिन इनके अलावा दुनिया में तो ये ही मकसद होता है कि शरीर के लिए, या फिर औलाद के लिए बनाया जाए, माँ-बाप के लिए प्यार अब कम होता जा रहा है। तो ये सारे कर्म आप करते रहते हैं और इन कर्मों से आपको लगता है कि जीवन जीने का उद्देश्य पूरा हो रहा है, मकसद हमारा यही है। लेकिन नहीं आप भूल गए हैं, ये जो आप दुनिया में मस्त हुए बैठे हैं, ये तो धीरे-धीरे छूटता जाएगा, कोई आज साथ छोड़ गया, कोई कल साथ छोड़ गया, जब तक खिलाओ, पिलाओगे अपने हैं, मुट्ठी बंद हुई नहीं, निकल बाहर। आप जानते हैं स्वार्थ, गर्ज हावी हो गया है, तो आपने इसको मकसद बना रखा है, जबकि ये नहीं मनुष्य शरीर का सबसे बड़ा मकसद है उस शक्ति को पाना, उस ताकत को पाना जो सबको बनाने वाली है, सब कुछ देने वाली है। उसकी तरफ तो ध्यान ही नहीं है, आप इसी में खो गए हैं, इसी के हो गए हैं।
इस अवसर पर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा नशों के खिलाफ आमजन को जागरूक करने के लिए गाए गए सॉन्ग मेरे देश की जवानी व आशीर्वाद मांओं का… चलाए गए, जिससे युवाओं को नशों से दूर रहने का संदेश मिला। इसके साथ ही साध-संगत ने नाच-गाकर अपनी खुशी का इजहार किया। इस दौरान सत्संग भंडारे को लेकर बनाई गई एक डॉक्यूमेंट्री भी चलाई गई, जिसे सभी ने ध्यानपूर्वक देखा व सुना। नामचर्चा की समाप्ति पर हजारों सेवादारों ने आई हुई साध-संगत को कुछ ही मिनटों में लंगर-भोजन और प्रसाद छका दिया।
उल्लेखनीय है कि डेरा सच्चा सौदा के 75वें रूहानी स्थापना दिवस व जाम-ए-इन्सां गुरु का के पावन अवसर पर 29 अप्रैल को पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने 15वीं चिट्ठी में मई महीने को लेकर पावन वचन फरमाए थे। चिट्ठी द्वारा पूज्य गुरु जी ने फरमाया था कि सन 1948 में पूजनीय बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज ने डेरा सच्चा सौदा का निर्माण कर पहला सत्संग मई महीने में फरमाया था। इसलिए मई महीने में भी साध-संगत पावन भंडारा मनाया करेगी।
बेमिसाल रहे प्रबंध
सत्संग भंडारे के अवसर पर डेरा प्रबंधन की ओर से साध-संगत की सुविधा के मद्देनजर व्यापक बेहतरीन प्रबंध किए गए थे। हालांकि साध-संगत के भारी उत्साह के चलते ये सब छोटे पड़ गए। गर्मी के मौसम के मद्देनजर जगह-जगह पर जहां ठंडे-मीठे पानी की छबीलें लगाई गई । वहीं ट्रैफिक समिति के सेवादारों ने वाहनों को ट्रैफिक ग्राउंडों में पूरे अनुशासन के साथ पार्क करवाया। इतनी भारी तादाद में साध-संगत होने के बावजूद सफाई समिति के सेवादारों ने बेमिसाल सेवाएं निभाई और साथ की साथ कूड़े को ट्रैक्टर-ट्रालियों के माध्यम से निस्तारण स्थल तक पहुँचाते रहे। लंगर समिति के सेवादारों का सेवा भाव भी बेहतरीन रहा और कुछ ही मिनटों में साध-संगत को लंगर-भोजन और प्रसाद वितरित कर दिया गया।
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