मजलिस में हज़रत कासिम की शहादत को बयान किया
लोकतंत्र भास्कर
मेरठ। 7 मुहर्रम को शहर की सभी इमाम बारगाहों में मजलिस और मातम का सिलसिला जारी रहा। लाला बाज़ार स्थित इमाम बारगाह छोटी करबला में हुज्जत उल इस्लाम मौलाना सैय्यद वक़ार अहमद रिज़वी गोपालपुरी ने “विलायत और दीन की हिफाज़त” शीर्षक के आधार पर मजलिस को संबोधित किया।
शेख सदूक की किताब खिसाल के हवाले से मौला ए कायनात हज़रत अली (अ.) की एक हदीस पेश करते हुए कहा, मोमिन अपनी जिंदगी में नूर के पांच मरहलों (चरणों) से गुज़रता है। उसका दुनिया में आना नूर है, दुनिया से जाना नूर है, उसका बोलना नूर है, उसका सुनना नूर है और रोज़ ए कयामत जब वह कब्र से निकलेगा तो उसका हर मंज़र नूर होगा। मौलाना ने मसाइब में हज़रत इमाम हसन (अ.) के 13 साल के यतीम बेटे हज़रत कासिम की शहादत का बयान किया। उन्होंने कहा, हज़रत कासिम (अ.) इब्ने इमाम हसन (अ.) कर्बला के एक ऐसे शहीद हैं, जिनकी लाश को जिंदगी ही में पामाल कर दिया गया था, इमाम हुसैन (अ.) एक चादर में हज़रत कासिम की लाश के टुकड़ों को गठरी की शक्ल में बांधकर लाए थे।
मोहर्रम कमेटी की मीडिया प्रभारी डॉ. इफ्फत ज़किया ने कहा, “मगरिब की नमाज़ के बाद थाना देहली गेट स्थित छत्ता अली रज़ा वैली बाज़ार से जुलूस ए ज़ुल्जनाह बरामद होकर इमाम बरगाह छोटी करबला होता हुआ अज़ाखाना-ए- शाहे कर्बला पहुंचकर समाप्त हुआ।” जुलूस-ए- ज़ुल्जनाह के संयोजक अली हैदर चाँद थे।