उत्तराखंड को मिली वंदे भारत एक्सप्रेस की, सौगात, PM नरेंद्र मोदी ने देहरादून- दिल्ली की पहली यात्रा का किया शुभारंभ
दिल्ली/देहरादून। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से देहरादून से दिल्ली के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस के उद्घाटन को झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने नव विद्युतीकृत रेल खंडों को भी राष्ट्र को समर्पित किया और उत्तराखंड को 100 प्रतिशत विद्युत कर्षण (ट्रैक्शन) वाला राज्य घोषित किया।
उन्होंने समारोह को संबोधित करते हुए देहरादून और दिल्ली के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस के उद्घाटन के लिए उत्तराखंड के सभी लोगों को बधाई दी और कहा कि यह ट्रेन देश की राजधानी को उत्तराखंड की देवभूमि से जोड़ेगी। उन्होंने बताया कि दोनों शहरों के बीच यात्रा का समय और कम हो जाएगा और ट्रेन में उपलब्ध सुविधाएं एक सुखद यात्रा का अनुभव कराएंगी। उन्होंने जापान, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया की अपनी यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विश्व भारत की ओर बहुत उम्मीदों के साथ देख रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “जब अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और गरीबी से लड़ने की बात आती है तो भारत विश्व के लिए आशा की किरण बन गया है।” उन्होंने कोरोना वायरस महामारी से निपटने के भारत के तरीके और देश में चलाए गए विश्व के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि उत्तराखंड जैसे सुंदर राज्यों को आज की स्थिति का अधिकतम लाभ उठाना चाहिए, जब विश्व भर के लोग भारत आना चाहते हैं। श्री मोदी ने कहा कि वंदे भारत ट्रेन भी इस अवसर का पूरा लाभ उठाने में उत्तराखंड की सहायता करने जा रही है।
प्रधानमंत्री ने केदारनाथ की अपनी यात्रा को याद किया और अपने बयान को याद किया कि “यह दशक उत्तराखंड का दशक होने जा रहा है।” उन्होंने कानून और व्यवस्था की स्थिति को मजबूत रखते हुए राज्य के विकास को बढ़ावा देने की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की कि ‘देवभूमि विश्व की आध्यात्मिक चेतना का केंद्र होगी। उन्होंने कहा कि हमें इस क्षमता को साकार करने के लिए काम करना होगा। उन्होंने कहा कि चार धाम यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों की संख्या पुराने रिकॉर्ड तोड़ती रहती है। उन्होंने बाबा केदार के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं, हरिद्वार में कुंभ/अर्धकुंभ और कांवड़ यात्रा के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि कई राज्यों में इतनी संख्या में श्रद्धालु नहीं आते हैं और यह एक उपहार के साथ-साथ एक बड़ा काम भी है। उन्होंने कहा कि डबल इंजन सरकार इस ‘भागीरथ’ कार्य को आसान बनाने के लिए डबल पावर (दोहरी शक्ति) और डबल स्पीड (दोहरी गति) के साथ काम कर रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का बल ‘नवरत्न’, विकास के 9 रत्नों पर है। उन्होंने कहा कि पहला रत्न केदारनाथ-बद्रीनाथ धाम में 1300 करोड़ रुपये के जीर्णोंद्धार का काम है। दूसरा, गौरीकुंड-केदारनाथ और गोबिंद घाट-हेमकुंट साहिब में 2500 करोड़ रुपये की रोपवे परियोजना। तीसरा है, मानस खंड मंदिर माला कार्यक्रम के अंतर्गत कुमाऊं के प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार। चौथा, पूरे राज्य में होमस्टे का प्रचार जहां राज्य में 4000 से अधिक होमस्टे पंजीकृत किए गए हैं। पांचवां, 16 इकोटूरिज्म स्थानों का विकास। छठा, उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार। ऊधमसिंह नगर में एम्स का उप केन्द्र बन रहा है। सातवां, 2000 करोड़ रुपये की टिहरी झील विकास परियोजना। आठवां, हरिद्वार ऋषिकेश को योग और साहसिक पर्यटन की राजधानी के रूप में विकसित करना और अंत में, टनकपुर बागेश्वर रेल लाइन। उन्होंने कहा कि इन नवरत्नों को राज्य में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक नए सिरे से मजबूत किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 12,000 करोड़ रुपये की लागत से चार धाम महापरियोजना पर तेजी से काम चल रहा है। दिल्ली देहरादून एक्सप्रेसवे यात्रा को तेज और आसान बना देगा। उन्होंने उत्तराखंड में रोपवे कनेक्टिविटी के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि पर्वत माला परियोजना आने वाले दिनों में राज्य का भाग्य बदलने जा रही है। उन्होंने कहा कि 16,000 करोड़ रुपये की ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना 2-3 वर्षों में पूरी हो जाएगी। यह परियोजना उत्तराखंड के एक बड़े हिस्से को सुलभ बनाएगी और निवेश, उद्योग और रोजगार को बढ़ावा देगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार की सहायता से उत्तराखंड पर्यटन, साहसिक पर्यटन, फिल्म शूटिंग स्थल और वेडिंग डेस्टिनेशन के हब के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य के पर्यटन स्थल विश्वभर से आगंतुकों को आकर्षित कर रहे हैं और वंदे भारत एक्सप्रेस उनके लिए बहुत लाभकारी होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि ट्रेन से यात्रा करना उन लोगों की पहली पसंद है, जो अपने परिवार के सदस्यों के साथ होते हैं और वंदे भारत धीरे-धीरे परिवहन का साधन बनता जा रहा है।
“प्रधानमंत्री ने कहा कि 21वीं सदी का भारत बुनियादी ढांचे की क्षमता को अधिकतम करके विकास की ऊंचाइयों को छू सकता है” और पहले की सरकारें बुनियादी ढांचे के महत्व को नहीं समझ सकीं, जबकि वे भ्रष्टाचार और वंशवादी राजनीति में व्यस्त थीं। भले ही भारत में हाई-स्पीड ट्रेनों के संबंध में पिछली सरकारों द्वारा बड़े वादे किए गए थे, प्रधानमंत्री ने कहा कि वे रेल नेटवर्क से मानव रहित फाटकों से मुक्ति पाने में भी विफल रहे, जबकि रेल लाइनों के विद्युतीकरण की स्थिति और भी खराब थी। प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 तक देश के रेल नेटवर्क के केवल एक तिहाई हिस्से का विद्युतीकरण किया गया था, जिससे तेजी से चलने वाली ट्रेन के बारे में सोचना असंभव हो गया था। प्रधानमंत्री ने कहा, “रेलवे को बदलने के लिए चौतरफा काम 2014 के बाद शुरू हुआ।” उन्होंने रेखांकित किया कि देश की पहली हाई-स्पीड ट्रेन के सपने को लागू करने का काम पूरे जोर-शोर से शुरू हुआ, साथ ही सेमी-हाई-स्पीड ट्रेनों के लिए पूरे नेटवर्क को भी तैयार किया गया। प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 से पहले औसतन हर वर्ष 600 किलोमीटर रेल लाइनों का विद्युतीकरण किया जाता था, जबकि आज हर साल 6 हजार किलोमीटर रेल लाइनों का विद्युतीकरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “आज देश के 90 प्रतिशत से अधिक रेलवे नेटवर्क का विद्युतीकरण हो चुका है। उत्तराखंड में पूरे रेल नेटवर्क का शतप्रतिशत विद्युतीकरण पूरा कर लिया गया है।”
प्रधानमंत्री ने विकास कार्यों का श्रेय सही नीयत, नीति और समर्पण को दिया। वर्ष 2014 की तुलना में रेल बजट में वृद्धि से उत्तराखण्ड को सीधा लाभ होने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि 2014 से 5 वर्ष पहले राज्य का औसत बजट 200 करोड़ रुपये से कम था जबकि आज रेल बजट 5 हजार करोड़ रुपये है, जो 25 गुना वृद्धि है। प्रधानमंत्री ने एक पर्वतीय राज्य में कनेक्टिविटी के महत्व पर बल दिया, जहां गांवों के लोग कनेक्टिविटी की कमी के कारण पलायन कर गए और कहा कि सरकार आने वाली पीढ़ियों के लिए उस पीड़ा को रोकना चाहती है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारी सीमाओं तक आसान पहुंच में आधुनिक कनेक्टिविटी भी बहुत उपयोगी होगी और राष्ट्र की रक्षा करने वाले सैनिकों को किसी भी तरह से असुविधा नहीं होनी चाहिए।
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