गौ, गंगा, गीता, गायत्री हमारे देश की संस्कृति: पंडित विनय
लोकतंत्र भास्कर
मेरठ। आभा मानव मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का मनोहारी वर्णन किया गया। पूतना चरित्र का वर्णन करते हुए कथा व्यास पंडित विनय शास्त्री ने कहा कि पूतना जैसी राक्षसी को भी भगवान ने स्तनपान करते-करते वध कर उसका कल्याण कर दिया।
माता यशोदा जब भगवान श्री कृष्ण को पूतना के वक्षस्थल से उठाकर लाती हैं, उसके बाद उन्हें गाय के पंचगव्य गोबर गोमूत्र आदि से स्नान करती हैं। गौ, गंगा, गीता, गायत्री हमारे देश की संस्कृति है, इनकी महिमा अनंत है। जब श्री कृष्ण माटी खाते हैं तो गोपियों यशोदा मैया से शिकायत करती हैं। श्री कृष्ण बृजरज का सेवन करके दिखला रहे हैं कि ऐसा स्वाद कहीं नहीं है जैसा ब्रजराज में है। बड़े-बड़े ऋषि मुनि तरसते हैं ब्रजरज को। यह दृश्य देखने के लिए सभी देवी देवता आते है और स्वयं को धन्य समझते हैं। भगवान भोलेनाथ भी वेश बदलकर श्री कृष्ण के दर्शन करने के लिए आते हैं, लेकिन यशोदा मैया और द्वारपालों उन्हें भगा देते हैं। गोवर्धन लीला का वर्णन कर गोवर्धन पूजा की गई और 56 भोग लगाया गया। सभी श्रद्धालुओं ने गोवर्धन परिक्रमा कर भगवान का पूजन किया और छप्पन भोग का प्रसाद ग्रहण किया।