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Saturday, December 28, 2024
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66 वर्षीय महिला मरीज का रोबोट की मदद से निकाला गया यूट्रस

66 वर्षीय महिला मरीज का रोबोट की मदद से निकाला गया यूट्रस

लोकतंत्र भास्कर

मेरठ। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली (गाजियाबाद) ने मेरठ में मरीजों को अवेयर करने के लिए एक सत्र आयोजित किया. इस दौरान कैंसरस और नॉन कैंसरस ट्यूमर के इलाज में हुई तकनीकी प्रगति के बारे में लोगों को जानकारी दी गई है.

इस मौके पर मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी की सीनियर डायरेक्टर डॉक्टर कनिका गुप्ता मौजूद रहीं. उनके साथ मेरठ की 66 वर्षीय मरीज उर्मिला भी थीं, जिनके यूट्रस को हटाने के लिए रोबोटिक हिस्ट्रेक्टोमी की गई. मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल वैशाली में सर्जिकल ऑन्कोलॉजी की सीनियर डायरेक्टर डॉक्टर कनिका गुप्ता ने इस केस की जानकारी देते हुए बताया, ”पेशेंट को एक साल से पेट में दर्द की शिकायत थी. उनके मीनोपॉज का पीरियड 15 साल से चल रहा था, बावजूद इसके उन्हें असामान्य ब्लीडिंग हो रही थी. मरीज का पैप स्मियर टेस्ट किया गया, जिसमें पता चला कि वो प्री-कैंसरस स्टेज में हैं. अल्ट्रासाउंड में पता चला कि उनके यूटरिन कैविटी में फ्लूड जमा है. एमआरआई के जरिए बाकी की जांच की गई तो मोटी एंडोमेट्रियल लाइनिंग का पता चला.” इस परेशानी के अलावा मरीज की मेडिकल हिस्ट्री भी थी. उनके स्तन में गांठ थी और कोलसिस्टोमी हुई थी. इसके अलावा उनकी कैंसर की फैमिली हिस्ट्री भी थी, उनके पिता को लिवर कैंसर हुआ था.

डॉक्टर कनिक गुप्ता के गाइडेंस में मैक्स हॉस्पिटल वैशाली में मरीज उर्मिला को डीएंडसी हिस्ट्रोस्कोपी और बायोप्सी की सलाह दी गई. हालांकि, मरीज ने एक और बेहतर विकल्प चुनते हुए सीधे यूट्रस रिमूवल का फैसला किया. डॉक्टर कनिका गुप्ता ने मिनिमली इनवेसिव तकनीक के फायदों के बारे में बताया और रोबोटिक हिस्ट्रेक्टोमी की सलाह दी. इलाज के बाद रिजल्ट पर डॉक्टर कनिका गुप्ता ने संतुष्टि जाहिर करते हुए कहा, ”लेटेस्ट मेडिकल एडवांसमेंट और पर्सनलाइज्ड केयर की मदद से मरीज उर्मिला का सफलतापूर्वक इलाज करने पर हम गौरवान्वित हैं. इस मामले से ये पता चलता है कि रोग का शुरुआत में पता चलना कितना अहम होता है. साथ ही इस केस की सफलता ये भी दर्शाती है कि रोबोटिक असिस्टेड सर्जरी से मरीज के लिए बहुत अच्छे रिजल्ट आ रहे हैं.” सर्जरी के दौरान फ्रोजन सेक्शन की रिपोर्ट से पता चला कि टिशू नॉन कैंसरस थे, जिससे मरीज और मेडिकल टीम दोनों को राहत मिली. सफल सर्जरी के अगले ही दिन मरीज उर्मिला को डिस्चार्ज कर दिया गया, जो उनकी रिकवरी की यात्रा में एक मील का पत्थर रही.”

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