शिक्षित नारी मानव को मानवता सिखलाती है : शालिनी मिश्रा
नारी शिक्षा समाज के विकास के लिए आवश्यक है क्योंकि एक समर्पित, ज्ञानवान और आत्मनिर्भर महिला समाज की स्थिति को सुदृढ़ करती है। नारी शिक्षा का महत्व इसलिए भी बहुत क्युकी यह महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक और उन्हें स्वतंत्रता का एहसास दिलाती है।
संस्कृत में कहा गया है “नास्ति विद्यासमं चक्षुर्नास्ति मातृ समो गुरुः” इसका मतलब यह है कि इस दुनिया में विद्या के समान नेत्र नहीं है और माता के समान गुरु नहीं है। यह बात पूरी तरह सच है बालक के विकास पर प्रथम और सबसे अधिक प्रभाव उसकी माता का ही पड़ता है। माता ही अपने बच्चे को पहली अध्यापक होती है। बालक का यह प्रारंभिक ज्ञान पत्थर पर बनी अमिट लकीर के समान जीवन का स्थाई आधार बन जाता है। समाज में बाल अपराध बढ़ने का कारण बालक का मानसिक रूप से विकसित ना होना है। यदि मां शिक्षित नहीं होगी तो एक स्वस्थ समाज का निर्माण एवं विकास संभव नहीं हो सकेगा।
पुरुष और स्त्री इस समाज के एक सिक्के के दो पहलु हैं तो फिर शिक्षा भी एक समान प्राप्त होनी चाहिए। जिस तरह पुरुष का शैक्षिक जीवन इस समाज के विकास के लिए महत्वपूर्ण है उसी प्रकार नारी शिक्षा भी देश के हित के लिए आवश्यक है। किसी भी तरह की नकारात्मक सोच इस समाज के विकास का रोड़ा बन सकती है। आज के इस युग में स्त्री पुरुषों से कंधे से कन्धा मिलाकर काम कर रही हैं। हर एक क्षेत्र में नारी आज कुशल है, वह घर की देखभाल के साथ साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अडिग है।
भारत में महिला साक्षरता नए ज़माने की अहम जरुरत है। महिलाओं के शिक्षित हुए बिना हम देश के उज्जवल भविष्य की कल्पना भी नहीं कर सकते। परिवार, समाज और देश की उन्नति में महिलाओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। भारत के लोकतंत्र को सफल बनाने का एकमात्र रास्ता यहीं है की महिलाओं तथा पुरुषों को शिक्षा हासिल करने के लिए बराबरी का हक़ दिया जाए। शिक्षित महिलाएं ही देश, समाज और परिवार में खुशहाली ला सकती है। यह कथन बिलकुल सत्य है की एक आदमी सिर्फ एक व्यक्ति को ही शिक्षित कर सकता पर एक महिला पूरे समाज को शिक्षित कर सकती है जिससे पूरे देश को शिक्षित किया जा सकता है।
शालिनी मिश्रा(अध्यक्ष)
सिद्धार्थ शिक्षा समिति बरेली
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