झोलाछाप डॉक्टरों के गलत इलाज से विवाहिता की मौत
लखनऊ। क्षेत्र में गांव-गांव फैले झोलाछाप चंद पैसों के लालच में मरीज की जिंदगी से खिलवाड़ करने में नहीं चूकते हैं। कहते हैं कि एक झोलाछाप के चक्कर में मरीज की जान बचना मुश्किल हो जाती है।अगर दो या तीन झोलाछाप किसी मरीज का इलाज करें तो अंजाम मरीज की मौत ही होता है। बिना किसी जांच इलाज करते रहे झोला छाप इसी तरह का एक दर्दनाक प्रकरण बुधवार को सामने आया ,जब दो सप्ताह से बुखार पीड़ित विवाहिता की शाम करीब 6 बजे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मलिहाबाद पहुंचते पहुंचते मौत हो गई। रहीमाबाद थाना क्षेत्र के ग्राम मनकौटी निवासिनी सुधा की शादी 5 वर्ष पूर्व ग्राम अदौरा थाना औरास निवासी दिनेश के साथ हुई थी। पैसे की तंगी से झोला छापों से कराया इलाज। सुधा दो सप्ताह पहले से बुखार से पीड़ित थी।
पति दिनेश ने बताया कि पैसे की तंगी की वजह से पहले गावँ के झोलाछाप सत्य प्रकाश से लगभग 12 दिन तक इलाज करवाया परंतु बुखार नही उतरा तो मंगलवार को बेहतर इलाज के लिए ससुराल मनकौटी आया था। रात से फिर तबियत बिगड़नी शुरू हुई तो बुधवार को भतोइया स्थित एंजेल क्लीनिक में इलाज शुरू कराया था। किसी ने भी डेंगू मलेरिया की जांच नही कराई बस इलाज करते रहे।
कंधे पर शव उठाने को मजबूर हुआ पति शाम 4 बजे और हालत बिगड़ने पर एम्बुलेंस से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाते समय रास्ते मे ही पत्नी की सांसें थमने लगी। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर दानिश ने परीक्षण के बाद बताया की पत्नी की मौत हो चुकी है। घर वालों को मौत की सूचना देने के बाद एक घंटे बाद भी जब कोई नही पहुंचा तो निराश होकर पत्नी के शव को कंधे पर उठाकर किनारे करना चाहा तो डॉक्टर ने रोक कर कहा कि थोड़ा रुक कर इंतजार कर लीजिए। कुछ देर रुकने के बाद फोन कर एक परिचित का वाहन मंगवाकर पत्नी का शव अपने गावँ पहुंचाया। मृतका के परिवार में एक 4 वर्ष का बेटा रियांस है जिसका रो-रो कर बुरा हाल है। इस संबंध में सीएचसी अधीक्षक डॉ चंदन कुमार यादव ने कहा की परेशानी की हालत में मृत पत्नी का शव कंधे पर उठाकर ले जाने के प्रयास को रोक कर ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर दानिश ने शव वाहन मंगवाकर शव को सम्मानपूर्वक घर भिजवाने में पूरा सहयोग करके अपने कर्तव्य का निर्वहन किया था।
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