बहना ने भाई की कलाई पर प्यार बांधा है, भाइयों ने दिया रक्षा का वचन
लखनऊ /उन्नाव : देश के प्रमुख पर्वों में गिना जाने वाला रक्षाबंधन अपना विशेष महत्व रखता है, इस त्योहार के आते ही बहनें अपनी तैयारियां जोरों से शुरू कर देती हैं और भाई भी उपहार खरीदने में लग जाते हैं। हिन्दू धर्म मे रक्षाबन्धन का अति प्रचीन इतिहास है जो इसे और महत्वपूर्ण बना देता है।
भाई-बहन के मध्य मनाया जाने वाला ये पर्व अलग-अलग समय पर अपना अलग अलग इतिहास रखता है, जिनमें भगवान श्रीकृष्ण और द्रोपदी की कथा, दुर्गावती और अकबर की कथा व राजा बलि व माता लक्ष्मी की कथाएं प्रमुख हैं। राजा बलि से जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार में तीन पग जमीन मांगी जिसके बाद विशाल रूप लेकर एक पग में धरती व दूसरे में आकाश को नाप लिया। तीसरे पग के लिए राजा बलि ने अपना सिर रख दिया तदैव उपरांत भगवान विष्णु ने उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर राजा बलि को वरदान स्वरूप पाताल लोक दे दिया, किंतु बलि ने ईश्वर से नित्य प्रति अपने दर्शन देने का वचन ले लिया। माँ लक्ष्मी को यह असहज लगने पर उन्होंने राजा बलि के सामने अपना दुःख व्यक्त किया व राजा बलि के द्वारा माँ लक्ष्मी को अपनी बहन मानकर प्रभु को इस वचन से मुक्त कर दिया गया, कहा जाता है की तब श्रावण मास की पूर्णिमा थी, तबसे ही इस पावन पर्व की शुरुआत हुई।
रक्षाबंधन के पर्व में मिठाई और राखियों की सजी दुकानें और खरीददारी करते लोग बाजार की रौनक बढ़ाने वाले होते हैं। अलग अलग क्षेत्रो में इस पर्व को भिन्न भिन्न प्रकारों से मनाने का भी चलन है। इतिहास चाहे कुछ भी हो लेकिन यह पर्व समाज मे रिश्तों को मजबूती प्रदान करता है और पुरानी भारतीय संस्कृति को जिंदा रखने में अपनी विशेष भूमिका रखता है।
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