तुलसी जयंती समारोह में राम कथा के साथ साथ राष्ट्र कथा का भी हुआ आयोजन
बरेली। राम कथा अंतस स्वच्छ करता है, कथा भीतर की यात्रा आरंभ कराती है। सब अन्दर है। कथा सुनते-सुनते भाव से आंखें बंद हो जाए तो अंदर की यात्रा आरंभ करो। अंदर देखना शुरू करो, अनुभव होगा। युवा शक्ति को आह्वान किया कि जवानी हवा का झोंका है, कागज की नौका है, जवानी बेहतरीन करने का मौका है। समय रहते सब काम कर लो जब ऊर्जा ही शरीर में नहीं रहेगी, तब मन करेगा कि अभी तक जीवन में कुछ अच्छा काम नहीं किया लेकिन तब कर नहीं पाओगे।
देवी हेमलता शास्त्री ने युवा शक्ति को तामसिक पेय पदार्थ से दूर रहने को बोला। अश्लील वस्त्रों को धारण करने को मना किया। यह हमारी भारतीय संस्कृति नहीं है। हम किधर जा रहे हैं ? यह थोड़ा युवा शक्ति चिंतन करें कि इसका परिणाम क्या होगा ?उन्होंने श्री रामायण मंदिर की मूर्तियों को देखकर कहा कि इन मूर्तियों में इतना प्राण शक्ति प्रबल है कि उनके दर्शन मात्र से ही लगता है कि पूर्ण आनंद प्राप्त हो गया। कलयुग में ही मीरा ने कृष्ण को पा लिया था। भगवान को पाने के लिए तड़प होनी चाहिए, संकल्प शक्ति होनी चाहिए। संकल्प कभी अधूरे नहीं होते, विकल्प कभी पूरे नहीं होते। राम कथा ठहराव, स्थिरता देती है। मंदिर निर्माण की पाठशाला है। मूर्ति को देखकर दया व करुणा का भाव स्वयं में जाग जाता है। उन्होंने राधा वल्लभ प्यारे कह दो कि तुम हो हमारे, तुम ही बताओ कैसे जिएगें हम, बिन तेरे यूं से सहारे भजनों का भी बखान किया।
उन्होंने बताया कि वन में राम ने संकल्प धारण किया कि धरती को निशाचर विहीन कर देंगे। संत इन राक्षसों से भयभीत रहते थे। संतों का वध किया जाता था। राम संतों की यह दशा देखकर द्रवित हुए और उन्होंने अपनी दोनों भुजाओं उठाकर संकल्प ले लिया। निशाचरों के शासन को समाप्त कर दिया। संकल्प आगे बढ़ने का रास्ता खोलता है । संकल्प ही सिद्धियां दिलाता है। जीवन यात्रा में स्थितियां बदलती है लेकिन आत्मबल मजबूत हो तो वह चलता रहता है। प्रत्येक कार्य प्रत्येक संघर्ष कुछ ना कुछ सिखाता है।
उन्होंने कहा कि जीवन में नेतृत्व कर्ता बनो और कार्य करने वालों के साथ खड़े हो जाओ। राम ने पंचवटी में अपनी कुटिया बनाई। सूर्पनखा राम और लक्ष्मण को भ्रमित करने के लिए आई। माया के जाल में फसाने का प्रयास किया लेकिन जब वह नहीं फंसे तो वह खरदूषण राक्षसी नेता 14000 राक्षसों की सेना को लेकर आयी और राम ने अकेले 14000 राक्षसों का वध किया। यह संकल्प शक्ति का ही परिणाम था। फिर सूर्पनखा रावण के पास पहुंची। रावण साधु का भेष बनाकर सीता के पास आया। व्यास पीठ से देवी जी ने कहा राम के चरित्र से यह सीखना भी चाहिए की राम ने यह सिखाया शत्रुता करो तो सामने से करो। युद्ध करो, अच्छे योद्धा बनो। रावण की तरह छल करके शत्रुता नहीं करनी चाहिए। देश को गद्दारों से खतरा है, रामायण मंदिर में चल रहे तुलसी जयन्ती समारोह में श्री राम कथा के अष्टम दिवस रामकथा के साथ-साथ राष्ट्र कथा का भी गान किया गया ।इसमें सुंदर राष्ट्र गीतों के साथ युवा चेतना जागृत करने एवं ऊर्जावान बनाने के लिए देवी जी मंच से बहुत ही सुंदर सूत्र प्रदान किए। साथ ही भारत माता की सुंदर झांकी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के दर्शन भी कथा क्रम में रहे।
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