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Friday, December 27, 2024
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CSC डीएम और डीसी की मिलीभगत से बरेली में पीएमजी दिशा में हो रहा है फर्जीवाड़ा

उत्तराखंड और झारखंड की यूजर आईडी से कर रहे हैं पंजीकरण

डिजिटल कार्ड बनाने के बहाने मोबाइल और लैपटॉप में सेव कर रहे हैं आधार और फिंगरप्रिंट

बरेली। उत्तर प्रदेश के जनपद बरेली से एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है जहां पर प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता मिशन की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं सरकार द्वारा पीएमजी दिशा को ग्रामीणों तक पहुंचाने का जिम्मदारी सीएससी कंपनी को दी गयी है जो कि ग्रामीण स्तर पर वीएलसी के माध्यम से पंचायत स्तर पर ग्रामीण लोगों को डिजिटल साक्षरता जैसे ईमेल करना, डिजिटल पेमेंट करना, कंप्यूटर की जानकारी आदि का प्रशिक्षण एवं सर्टिफिकेट देती है। इसके बदले वीएलसी पीएमजी दिशा संचालक को ₹300 प्रति पंजीकरण भुगतान किया जाता है। सूत्रों के मुताबिक पता चला है कि बरेली में एक-एक वीएलसी संचालकों के पास एक या दो नहीं बल्कि 10 से 40 तक पीएमजी दिशा यूजर आईडिया है जिसके माध्यम से वह पीएम दिशा को चूना लगाने का काम कर रहे हैं।

ऐसा ही एक मामला जिले के भंडसर गांव में देखने को मिला है जहां पर जानकारी के अनुसार सर्वेश गंगवार नाम का युवक झारखंड एवं उत्तराखंड की वीएलसी ट्रेनिंग सेंटर के माध्यम से लोगों के फिंगरप्रिंट ले रहा था। सूचना मिलने पर मौके पर जाकर सर्वेश गंगवार से पूछा गया कि आप लोग क्या कर रहे हो तो उसने कहा कि हम डिजिटल कार्ड बना रहे हैं इससे गांव वालों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा। जब उनसे सरकारी अनुमति पत्र मांगा गया तो उन्होंने कहा कि आप हमारे डीएम और डीसी से बात कर लीजिए। जब सीएससी डीएम जितेंद्र कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमारे द्वारा डिजिटल कार्ड बनाने की कोई योजना नहीं है और नहीं मैं इन लोगों को जानता हूं। बाद में पता चला कि यह लोग पीएमजी दिशा पर लोगों के पंजीकरण कर रहे हैं जिसकी जानकारी ग्रामीण को भी नहीं थी। बाद में दो सीएससी संचालक सौरभ पटेल एवं सर्वेश गंगवार में हंगामा हुआ।

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सीएससी डीएम की मिली भगत से चल रहे हैं अवैध ट्रेनिंग सेंटर

सूत्रों के मुताबिक जनपद में पीएमजी दिशा का फर्जीवाड़ा इतना बढ़ गया है कि सीएससी डीएम अपने चेहते वीएलसी संचालकों को 10 से 20 यूजर आइडिया तक दे रहे हैं यही नहीं अगर किसी डीसी का ट्रांसफर अन्य जनपद या अन्य राज्य में हो जाता है तो वह वहां की यूजर आईडिया भी दे देते हैं।

ग्राम पंचायत स्तर पर होता है पीएमजी दिशा का प्रशिक्षण

पीएमजी दिशा का ट्रेनिंग प्रोग्राम 10 दिवस का होता है जिसके लिए ग्राम प्रधान की अनुमति से ग्राम में ट्रेनिंग सेंटर खोल कर गांव के लोगों को पंजीकरण कर ट्रेनिंग दी जाती है। प्रशिक्षण के बाद सर्टिफिकेट दिया जाता है लेकिन डीसी एवं डीएम की मिली भगत से ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। वीएलसी संचालक अन्य स्टेट की पीएमजी दिशा यूजर आईडियां ट्रेनिंग सेंटर से किसी भी गांव में जाकर डिजिटल कार्ड बनाने के बहाने लोगों का पंजीकरण कर सरकार को लाखों का चूना लगा रहे हैं।

ग्रामीणों को नहीं पता पीएम दिशा क्या है

गांव भंडसल में पीएमजी दिशा का काम कर रहे सर्वेश गंगवार ने गांव वालों को नहीं बताया कि किस मकसद से उनके फिंगरप्रिंट एवं आईडिया ली जा रही है जब गांव वालों से पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्होंने सरकारी योजनाओं का लाभ देने को कहकर फिंगरप्रिंट और आधार ले लिए हैं। हमें पीएम दिशा के बारे में कुछ नहीं बताया गया। जैसे ही ग्रामीणों को पता लगा कि हमसे झूठ बोलकर हमारे फिंगरप्रिंट एवं आधार कार्ड ले लिए गए वो सब दहसत में आ गए कि हमारे फिंगरप्रिंट का कहीं दुर उपयोग ना हो जाए।

2022 में शाहजहांपुर में पांच लोगों को भेजा गया था जेल

शाहजहांपुर जनपद में पीएमजी दिशा अभियान में बड़ा घोटाला सामने आया था जिसमें कांट थाना में नवंबर 2022 में 17 लोगों को पकड़ा गया था और पांच लोगों पर एफआईआर दर्ज कर जेल भेजा गया था सुनने में आया था इन लोगों ने 20 से 25 लख रुपए का सरकार को चूना लगाया था।

ग्रामीणों को नहीं पता कब हो जाता है प्रशिक्षण

वीएलसी संचालक गांव में जाकर डिजिटल कार्ड बनाने के बहाने उत्तराखंड, झारखंड की यूजर आईडी से गांव के लोगों का फिंगरप्रिंट एवं आधार लेकर लैपटॉप में सेव कर लेते हैं और स्वयं भी प्रशिक्षण एवं एग्जाम देकर फर्जी प्रधान का मोहर और हस्ताक्षर बनाकर रूपये निकाल लेते हैं।

एक मामला सुनने में आया है कि भंडसर में कुछ युवक उत्तराखंड एवं झारखंड की पीएमजी दिशा यूजर आईडी से लोगों का पंजीकरण कर रहे थे वो अवैध है , पीएमजी दिशा में ग्राम पंचायत स्तर पर पंजीकरण और प्रशिक्षण कार्यक्रम होता है। यदि कोई दूसरे राज्यों या अन्य ग्राम पंचायत का व्यक्ति पंजीकरण करता है तो वह अवैध होगा, लिखित शिकायत मिलने पर कारवाई की जाएगी

                    जितेंद्र गंगवार -डीएम सीएससी ( बरेली)

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